आप की तरह मैं भी कोरोना काल में अपने दिन चर्चा में व्यस्त था, प्रातः भ्रमण के बाद गुन गुना पानी मे गिलोय, ऑवला, एलोवरा, तुलसी के रस का ऑनद ले रहे थे, तभी समाने पड़ी मोबाईल की घंटी बज उठी, मै ने मोबाईल उठाते हुए यह सोचने लगा कि आज तो रविवार है, छुट्टी का दिन। इतनी सुबह सुबह कौन याद कर-रहा है। तभी पुनः मोबाईल पर काल की आने की सुचना दे रही थी, मैने देखा तो किसी अनजान सज्जन हमे याद कर रहे थे। औपचारिकता वस मैने सुप्रभात कह कर अनजान सज्जन का स्वागत किया। दुसरी तरफ से अजान सज्जन ने मेरे से पुछा कि मुझे आप का फोटो चाहिए, जरूरी काम है, मै आसचकित था, ये कौन महा संत व सम्भ्रात सज्जन कौन है, जो मेरे सम्बन्ध में सोच रहा है, वह भी निस्वार्थ भाव से इस घोर कलियुग मे। मै स्वयं अपने आप को आत्म गलानि के बोझ तले दवे जा रहा था। हालाकि मेरा दिवा स्वपन्न कुछ पल मे ही छन से टुट कर विखर गया। मैने सज्जन से हिम्मत जुटा कर पुछ लिया कि मित्रवर कृपा कर फोटो का प्रयोजन बता कर हमे कृतार्थ करे। आपकी अति कृपा होगी मुझ पर श्रीमान मेरे वाक पटुता के प्रहार से सकुचाते हए, उन्होने ने कहा कि आप अपना एक फोटो हमे भेज दें, ताकि आपको कोरोना वारियर सम्मान से नवाजा जाएगा। मैंने पूंछा मित्रवर क्यों मैंने ऐसा क्या किया है जो आप मुझे इस के लिए सम्मान से सम्मानित किया जायेगा तो इसका उत्तर वो नही दे सके। मैंने उनको विनम्रता पूर्वक बोला कि मै आप को जानता नही हुँ, हो सके तो मुझें माफ कर दे, अति मेहरवानी होगी मुझ पर। मैने ऐसे कोई सम्मान पाने वाला कोई समाजिक, ऐतिहासिक व साहसिक कार्य नही किया है। जिसके लिए मुझ जैसे इस नाचीज को कोरोना वारियर सम्मान से सम्मानित किया जाय। यह कहते हए मैने सज्जन से माफी माँगते हुए मोबाईल से कन्नेशन कट कर दी । इस घटना क्रम के दौरान मै विचलित हो गया, क्योकि अपने कार्य व स्वभाव के कारण सोच में पड गया कि किसी सम्मान का हमे आदर पूवर्क सम्मान करना चाहिए, ना अपमान, शायद मेरे द्वारा आज अक्षम गलती हो गयी। तभी मेरे चिर परिचित पत्रकार मित्र का कॉल आ गया। हम दोनो के बीच औपचारिकता पुरी होने के बाद मैने उनसे पुरी घटना क्रम वध्य तरीके से अवगत करा दी, मैने अपनी गलती पर अफशोस व्यक्त की। मेरे वरिष्ट पत्रकार मित्र ने वस्तु स्थिति को समझते हुए हमें बताया कि आप जैसे अनेकों पत्रकारों को ये कोरोना वारियर का सम्मान देता है।
दर असल आज कल कोरोना काल मे अपनी संस्थाओं का, अपना या अपना चुनाव प्रचार करने का एक नया ट्रेंड चल गया है कि ये लोग चुन चुन कर पत्रकारों, समाज सेवियों, बुद्धि जीवियों, लेखकों, व्यापारियों, शिक्षकों, पुलिस अधिकारियों, प्रसासनिक अधिकारियों को अपनी संस्थाओं के नाम से कोरोना वारियर का सम्मान पत्र देकर सम्मानित करते है। फिर उसके बाद सम्मान लेने वाला उसे स्वतः ही फेसबुक और सोशल मीडिया में ऐसे डालता है जैसे बहुत बड़ा तीर मार लिया हो और अपने आप को समाज मे सबसे बड़ा कोरोना वारियर प्रदर्शित करता है। जिसे सैकड़ों हजारों लोग शेयर और लाइक करते है और ऐसे लोगों का मकसद पूरा हो जाता है।
मेरी इस सदर्भ मे नीजी राय है कि ऐसी स्थिति मेवास्तविक कोरोना वारियर्स का अपमान होता है। जो इस संकट काल अपने परिवार व परिजनो से दुर रहकर अपनी जान हथेली पर कर कोरोना संक्रमित मरीजो की सेवा मे निस्वार्थ भाव से दिन रात लगे है वास्तव मे कोरोना वारियर सम्मान के सच्चे अधिकारी है। मेरी आप लोगों से अपील है कि जब भी आपको कोई कोरोना वारियर से सम्मानित करने की कहे तो आप उसे वास्तविक रूप में हकदार कोरोना वारियर को ही सम्मानित करने का सुझाव दें। आप ये भी जानने की कोशिश करें कि कहीं तथाकथित कोरोना सम्मान की आड़ में किसी संस्था, व्यक्ति विशेष का प्रचार का छिपा हुआ एजेंडा तो नही है, जिसके आप भी शिकार होने जा रहे हों।
-विनोद तकिया वाला