मतदान विवश हो पार्टियों और नेताओं के गिरते चरित्र को देख रहा है।
कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देते-देते भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस युक्त भाजपा बन चुकी है। आज तुलनात्मक अध्ययन करें तो पाएंगे कि कांग्रेस की हर बीमारी को भाजपा ने तेजी से आत्मसात किया है। कई बार दोनों ही पार्टियों में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। मतदाताओं के सामने नागनाथ और सांपनाथ का विकल्प रह गया है। मतदान विवश हो पार्टियों और नेताओं के गिरते चरित्र को देख रहा है।
सत्ता प्राप्ति के लिए पार्टियों और नेताओं का कोई सिद्धांत नहीं रह गया है। भ्रष्टाचारी, बलात्कारी, हत्या का आरोपी, पॉकिटमार, तस्कर सभी का स्वागत है इस पार्टी मे।
यह पार्टी कभी चाल,चेहरा और चरित्र की बातें किया करती थीं।
पिछले चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा और अन्य भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाने की बात कह कर सत्तारूढ़ हुई पार्टी आज कल दलितों को साधने में लगी है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को भी बहुमत का दुरुपयोग कर पलटा है इस सरकार ने। सुप्रीम कोर्ट ने बस इतना कहा था कि एससी-एसटी एक्ट में बगैर जांण के किसी को गिरफ्तार न किया जाए, क्योंकि कोर्ट में आए 90 प्रतिशत से ज्यादा आंकडे जांचोपरांत फर्जी पाए गए हैं। यह बिल्कुल महिला उत्पीड़न और दहेज कानून के दुरुपयोग की तरह है।
ऐसा न हो कि इस चक्कर में जो कट्टर समर्थक हैं वो टाटा,बाय-बाय कर जाएं।
हर तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को इस पार्टी ने अपनाया है। ऐसे में भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की बात सुनकर अब हंसी आती है।जिन नेताओं के सिर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार में सने हुए हैं, ऐसे लोग भी इस मंत्रिमंडल में शामिल हैं।
मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले भ्रष्टाचारियों को साथ लेकर लोकतंत्र में आप बहुमत तो ला सकते हैं और लाया भी है, पर आप ये न भूलें कि जितनी जल्दी आपने सीढ़ियां चढ़ी थीं उतनी ही जल्दी आप लोगों की नजरों से गिर गए।
-हरेश कुमार
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