मृत्युंजय दीक्षित,
भारत सरकार व सेना केवल एक बार की गयी सर्जिकल स्ट्राइक पर गर्व कर रही है और करना भी चाहिये लेकिन उसके बाद भी धोखेबाज पाकिस्तान न सुधरा है और नही सुधरने वाला है। अब पूरा देश केवल एक ही बयान सुनता- सुनता पक गया है कि हमारी सेना बड़ी बहादुर है और वह पाकिस्तानी फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। यह बात बिल्कल सही है कि भारी असमाजिक राजनैतिक दबाव के बावजूद जिस प्रकार से भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी मेें आपरेशन आल आउट चलाया और सीमा पर पूरी मुस्तैदी के साथ पाक की नापाक फायरिंग का जवाब दे रही है उसी दबाव को तोड़ने के लिए पाकिस्तानी सेना अब चीन में बने छोटे मिसाइलों से भारतीय सेना के जवानों को निशाना साधकर हमला कर रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आहत पाकिस्तानी सेना अब आतंकियों की मदद करने के लिए और अधिक खूंखार होती जा रही है। पाकिस्तानी सेना लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रही है और यहां तक कि अब उसने तो रिहायशी इलाकों में भी फायरिंग करके सीमा पर युद्ध का वातावरण लगभग बना ही दिया हे। सीमा पर के गांवों में दहशत का जबर्दस्त आम पसरा हुआ है तथा देशभक्त ग्रामीण जनता रात- रात जागकर सीमाप्रहरियों की सहायता भी कर रही है । आज हालात यह हो गये हैं कि सीमापवर्ती गांवोे के 84 स्कूल बंद हो गये हैं। गावों में किसानों की खेती आदि पर भी ग्रहण लगा हुआ है।
जम्मू कश्मीर में पुंछ- राजौरी सीमा पर कैप्टन कपिल कुंडू सहित चार जांबाज बहादुर जवानों की शहादत के बाद निश्चय ही पूरे देश मेे एक बार फिर भारी आक्रोश और निराशा व्याप्त है कि आखिर कब तक हमारे जवान शहीद होते रहंेगे। अभी कुछ समस पूर्व थलसेना प्रमुख ने सेना दिवस के अवसर पर एक बड़ा ही जोशीला बयान देशवासियों के लिए दिया था वह अब धरातल पर उतरने का समय आ गया है। भारत सरकार व सेना के लिए अब यही उपयुक्त समय है कि जब सीमा पार करने के लिए भारी संख्या मंे आतेकी मौजूद हैं तथा उनकोे भारतीय सीमा में घुसाने के लिए जबर्दस्त तरीके से पाक सेना की फायरिंग की जा रही है तो अब सीमा पार जाकर ही सारा हिसाब चुकता कर लेना चाहिये। यदि केेंद्र की बीजेपी सरकार ने जरा सा भी हीला हवाला की तो देश की जनता का आक्रोश उस पर ही फूट पड़ सकता है। केंद्र में भाजपा सरकार को इसलिए बहुमत दिया गया था कि मोदी जी के पीएम बनने के बाद कम से कम सीमा पार फायंिरग और आतंकवाद पर कडत्रे कदम उठाये जायेेगे। लेकिन अभी फिलहाल यह सब कुछ बहुत ही धीमे स्तर पर चल रहा है। हालांकि यह बात भी सही है कि पीएम मोदी अपनी कूटनीति के चलते आतंकवाद के मुददे पर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त कर चुके है। लेकिन अब इन सब कूटनीतिक बातों ओर केवल यह कहना कि पाकिस्तान अपने यहां पर पल रहे आतंकवादियो व उनके संगठनों पर कार्यवही करे तो यह कभी नहीं हुआ है और न ही होगा। पाकिस्तान किसी भी कीमत पर अपने यहां पल रहे आतंकी संगठनो के खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगा, नहीं करेगा।
यह बात मोदी सरकार को माननी ही पड़ेगी कि वर्ष 2015 में पाकिस्तान ने 152 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया उसके बाद 2016 में 228 बार और 2017 में सबसे अधिक 860 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। जबकि 2018 की जनवरी से लेकर अब तक वह 240 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुका है। इसी प्रकार 2015 मेें हमारे 41 जवान शहीद हुए और 2016 में 88 जबकि 36 दिन में 12 जवान शहीद हो चुके है और अभी तक बहु बड़ी कार्यवाही नहीं की गयी है। वहीं केवल 2017 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 138 जवानों को ढेर किया। जबकि 15 जनवरी को सेना दिवस के अवसर पर भारतीय सेना ने एक और अप्रतिम शौर्य दिखाते हुए सात पाकिस्तानी सैनिको को मार कर एक छोटा सा बदला ले लिया । लेकिन अब समय आ गया है कि सीमा के अंदर पूरी तरह से घुसकर इस मामले को समाप्त किया जाये। यही देशहित में होगा। इन छोटी बातों से केवल तनाव ही रहता है। राजनैतिक बहसों को ही बल मिलता है और कार्यवाही न होने से देश की सेना के बाकी जवानों और उनके परिवार के सदस्यों का भी मनाबेल बढ़ता है। साथ ही कार्यवाही न होने पर सत्ताधारी दल की साख भी वैसी हो सकती हे जैसे कि पिछली सरकारों की थी। अब पीएम मोदी को बहुमत प्राप्त है। पूरा देश व मीडिया सब कुछ उनके साथ है। उनका अपना राष्ट्रपति भी है फिर अब डर और संशय किस चीज का । जिस तरह से पीएम मोदी ने एक झटके मेें नोटबंदी का साहस दिखाया और जीएसटी लागू करके दिखाया अब यही समय है कि वह तत्काल पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्यवाही शुरू करवायें। वह जितना अधिक देर करेंगे उतना ही विरोधियों को उनका मजाक बनाने का अवसर भी मिलेगा। पीएम मोदी का इस बात को लेकर मजाक बनाया भी जाने लगा है। ओछी व विकृत मानसिकता वाली बयानबाजियां इस प्रकरण पर पीएम मोदी के खिलाफ हो रही है। लेकिन देश की घैर्यवान जनता को पूरा भरोसा है कि आज नहीं तो कल पाकिस्तान व उसके यहां पल रहे आतंकियो के खिलाफ ऐसी कार्यवाही होगी कि पूरा इतिहास व भूगोल बदल जायेगा। यह देश भारतीय सेना के जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए मचल रहा है वहीं कुछ लोग अपनी राजनैतिक रोटियां भी सेंक रहे है। बस सबसे बड़ी बात यह है कि बहुत अधिक विलम्ब नहीं होना चाहिए नहीे तो फिर देश के जनमानस का आक्रोश नियंत्रित करना कठिन हो जायेगा। । हमारे सैनिक सीमा पर शहीद होन के लिए नहीं गये है और नहीं हमारी मिसाइले केवल राजपथ के लिए बनी हंै।
यदि सरकार को अलगावावादियों व फारूख अब्दुल्ला जैसे लोगों का डर है कि उनको भी नियंत्रित करने की क्षमता देश के कानून व संविधान में निहित है। सभी पर एक साथ कार्यवाही होनी चाहिये।